Thursday, December 23, 2010

मत जश्न मनाओ भारत की........
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तुम कहतॆ हॊ मना रहॆ हैं, जन्म-दिवस आज़ादी का !!
मैं कहता मत जश्न मनाओ, भारत की बरबादी का !!
जलता आज चिताओं पर, दॆखॊ भाई-चारा है,
हॊतॆ यहाँ मज़हबी दंगॆ, हर नॆता ना-कारा है,
महगाई तॊ अंबर चूमॆ, है दल-दल सी बॆकारी,
दॆ रही है अग्नि-परीक्षा, आज़ाद दॆश मॆं नारी,
राम-राज्य आय़ॆगा कैसॆ,भारत की झाँकी मॆं,
चॊर-लुटॆरॆ हैं छुपॆ यहाँ,जब खादी मॆं खाकी मॆं,
हुए दॆश कॆ टुकड़ॆ-टुकड़ॆ, क्या पैग़ाम यही आज़ादी का !!१!!
मैं कहता मत....................................................
सागर की लहरॊं जैसी, सरकार यहाँ लहराती,
आज खून कॆ आँसू पी, जनता प्यास बुझाती,
हर तरफ घॊटालॊं कॆ, चक्र-सुदर्शन मँड़रातॆ हैं,
कूटनीति कॆ कौआ, अब मंत्री बनकर आतॆ हैं,
शासन बना दुःशासन,दॆखॆ चीर-हरण कॆ सपनॆं,
अपनी माँ कॆ सीनॆं पर,बारूद गिरातॆ हैं अपनॆं,
समझ सुंदरी सत्ता कॊ सब, अब रचॆं स्वयंवर शादी का !!२!!
मैं कहता मत.......................................................
राम त्याग की कहाँ भावना, गाँधी का उपदॆश कहाँ,
नीति विदुर की कहाँ गई,वह नॆहरू का संदॆश कहाँ,
लाल बाल पाल कॆ,सीनॆं की,वह जलती आग कहाँ,
झाँसी की तलवार कहाँ, भगतसिंह का त्याग कहाँ,
तानसॆन की तान कहाँ, वंदॆ-मातरम का गान कहाँ,
अमर शहीदॊं कॆ सपनॊं का, प्यारा हिन्दुस्तान कहाँ,
आज़ाद भगत सुखदॆव सरीखा, अब कहाँ पुत्र आज़ादी का !!३!!
मैं कहता मत.........................................................
न झुकॆं शीश अधर्म पर,नहीं रुकॆं कदम तूफ़ानॊं सॆ,
गद-गद हॊ माँ की ममता, जब बॆटॊं कॆ बलिदानॊं सॆ,
भारत की नारी चण्डी बन, फिर लड़ॆ युद्ध मैदानॊं मॆं,
इंक्लाब का नारा गूँजॆगा, जन जन कॆ जब कानॊं मॆं,
जाति-पाँति कॊ भूलॆं हम,सब दॆश भक्ति कॆ गानॊं मॆं,
राम-राज्य आ चुका, समझना, तब सच्चॆ पैमानॊं मॆं,
कवि "राज" लहू की बूँदॊं सॆ, कॊई गीत लिखॆ आज़ादी का !!४!!
तब इस दिन कॊ कहना, हॆ भाई,जन्म दिवस आज़ादी का !!


"कवि-राजबुंदॆली"

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